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Navic (NAVigation with Indian Constellation) : नाविक इंडिया का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम


आज के वक्त में हर कोई google maps का  इस्तेमाल करता है। आपके phone पर root map देखने के लिए और किसी जगह पर पहुंचने के लिए आप इसका इस्तेमाल करते है लेकिन क्या आपको पता है की यह काम कैसे करता है। यह दरअसल संभव हुआ है GPS Navigation System से इसका इस्तेमाल सिर्फ location पर पहुंचने के लिए नहीं होता इसके कई और भी फायदे है। इसके जरिये हम Maps तैयार कर रहे है, जमीन माप रहे है, Cab और Couriar की location का पता लगा रहे है, पानी के जहाज और विमानों को रास्ता दिखा रहे है और कोई भटक जाये तो उसे तलाश भी रहे है। हाला की यह GPS System अमेरिकन है। अगर हमारे रिश्ते america के साथ ख़राब हो जाये और Google यह तय करले की भारत में GPS सेवा नहीं दी जाएगी तो हम लोग क्या करेंगे। इसके चलते भारत ने 1990 में स्वदेशी navigation system पर काम करना शुरू किया था जो अब कुछ ही दिनों में पूरा होने वाला है और इस Navigation System का नाम Navic दिया गया है। आगे हम इसी Navigation System के बारे में पढ़ेंगे।
Indian Space Research Organisation (ISRO) का स्वदेशी Navigation  System मतलब Navic जल्द ही काम करना शुरू कर देगा। इस Navigation System का नाम हमारे देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने Navic रखा है। ISRO को यह उम्मीद है, की जल्द ही Navic Navigation system सटीक जानकारी देने लगेगा जो की एक अच्छे navigation system को देनी चाहिए।

Navic (NAVigation with Indian Constellation) : नाविक इंडिया का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम

Navic Or IRNSS क्या है?

जैसे की USA के पास खुदका Navigation System GPS (Global Positioning System) है, उसी तरह Russia के पास Glonass, चाइना के पास Beidou और european union के पास galileo है। लेकिन India के पास भी अब खुदका navigation system आ जायेगा जो की use कर पाएंगे।  India का navigation system जिसका नाम IRNSS (Indian Regional Navigation Satellite System) Or Navik (NAVigation with Indian Constellation) है। यह Indians  के लिए Proud की बात है की हमारा नाम अब उन देशो में आता है जिनके पास खुदका navigation system है। 
28 April 2016 को इस System के सातवे Satellite को Successfully Launch किया गया। इससे पहले हम 6 Satellites को launch कर चुके है। 2013 से यह System Launch करने का काम Progress में था और तीन साल से कम time में केवल 1420 करोड में पूरा  किया गया। 1420 करोड़ केवल इसलिए बोल रहा हु क्योंकि यही काम कोई और देश करता तो ना जाने कितने Billion Dollar खर्च हो जाते। इस navigation systme की Service पडोसी देशो को भी दी जाएगी। अब हमें navigation  के लिए दूसरे देशो पर डिपेंडेंट नहीं रहना होगा।

Navic बनाने की वजह क्या है?

यह बात है मई 1999 में कारगिल युद्ध की, घुसपैठियों का भेस धरकर पाकिस्तानी सैनिक कश्मीर में घुस गए और कारगिल में कई पहाड़ियों पर कब्ज़ा जमकर बैठ गए। भारतीय सेना को घुसपैठियों की सही location पता करने में मुश्किलें आ रही थी। ऐसेमे भारत सरकार ने america से मदत मांगी क्योंकि america अपने GPS System से घुपैठियो का पता लगा सकता था। भारत को यह उम्मीद थी की अमेरिका हमारी Help करेगा, लेकिन अमेरिकाने ऐसा नहीं किया। america उस वक्त अगर भारत की मदत कर देता तो न सिर्फ युद्ध की सामग्री बल्कि युद्ध में लगा समय भी बच जाता और भारतीय सैनिको की जान भी। इस वजह से ISRO  ने GPS technique के महत्व को समझते हुए Navic  Navigation System बनाने का निर्णय लिया। अगर भविष्य में युद्ध की स्थिति निर्माण होती है और अमेरिका ने हमारा GPS System बंद कर दिया तो हमारे लिए दिक्कत  है यह भी एक वजह है Navik Navigation System बनाने की।

Navic (IRNSS) के बारे में महत्वपूर्ण बाते ?

Navic का fullform Navigation with Indian Constellation होता है। navic navigation system दो तरह की service देगा। एक standard positioning service, जो की आम लोग use कर पाएंगे अपने कामो के लिए जैसे की किसी location का पता लगाना। इसका दूसरा उपयोग military purpose के लिए किया जायेगा। Navic navigation system में 7 satellite मौजूद है। लेकिन भविष्य में इसकी संख्या 11 तक बढ़ सकती है। वैसे तो Navic (IRNSS) ने आजतक 9 Satellite Launch किये है, जिनमे से 2 fail हो गए। उनमे से पहला IRNSS -1A को 1 July 2013 को launch किया गया था। लेकिन इस सॅटॅलाइट के atomic clock fail हो जाने की वजह से यह satellite अब संपर्क में नहीं है। इसके आलावा 31 August 2017 को IRNSS - 1H Launch करने के बाद अपने orbit में जाकर fail हो गया था,  जिसकी वजह से यह सॅटॅलाइट भी अब संपर्क में नहीं है। इस समय केवल ७ ही सॅटॅलाइट संपर्क में है। इसके आखरी सॅटॅलाइट IRNSS 1I को 12 april 2018 में launch किया गया था।

यह आर्टिकल आप Technical DJ technicaldj.in पर पढ़ रहे है। 

Navic कैसे GPS से बहेतर है ?

GPS (Global Positioning System) यह अमेरिकाने विकसित किया हुआ navigation सिस्टम है। जब की Navic एक पूरी तरह से स्वदेशी navigation सिस्टम है, मतलब इसे सिर्फ भारत और उसके पडोसी देश ही इस्तेमाल कर पाएंगे। Officials के मुताबिक भारत का Navic navigation System अमेरिका के GPS से ज्यादा Accurate होगा। यह 5 मीटर की एक्यूरेसी के साथ Positions बताने में सक्षम होगा। Navic Navigation System के वजह से India अब उन 5 देशो की लिस्ट में शामिल होगा जिनके पास खुदका Navigation सिस्टम है। Navic Navigation System S & L Band इन दो Frequncy पर काम करता है जबकि GPS सिर्फ L Band पर ही निर्भर है। जिसकी वजह से GPS को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि जब कम Frequncy वाले signals atmosphere में travel करते है तब GPS की speed में बदलाव हो जाता है जिसकी वजह से इस समय-समय पर update करना पड़ता है। जबकि navic में दो तरह की Frequency का इस्तेमाल करने की वजह से Navic को ऐसी कोई भी समस्या नहीं है। इसलिए GPS के मुकाबले Navic ज्यादा एक्यूरेट और बहेतर है।

Navic (NAVigation with Indian Constellation) : नाविक इंडिया का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम
Navic Coverage Area 

17 साल के संघर्ष के बाद मिली कामयाबी

भारतीय वैज्ञानिक बीते 17 साल से इस ओर संघर्ष कर रहे हैं। इस सैटेलाइट की मदद से न सिर्फ भारत के दूर दराज के इलाकों की सही लोकेशन पता चल पाएगी, बल्कि यातायात भी काफी आसान हो जाएगा। लंबी दूरी तय करने वाले समुद्री जहाजों को इससे काफी फायदा होगा। इसके अलावा, सेना और मिसाइल संबंधित प्रणाली में भी इसे यूज करने की योजना है।

Indian Navigation System को Navic नाम क्यों दिया गया ?

इस Navigation System को Navic नाम India के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दिया है। जहाज चलाने वाले को नाविक कहा जाता है। पुराने ज़माने में जहाज चलाने वाले लोग रात में तारे देख कर दिशा का पता लगाते थे। उसी को ध्यान में रखते हुए नरेंद्र मोदी जी ने इस navigation system का नाम नाविक रखा है।   NAVigation with Indian Constellation यह Navic का फुलफॉर्म रखा गया है। 

Phone में भी आम लोग इस्तेमाल कर पाएंगे Navic 

कैलिफोर्निया में 16 से 20 सितंबर 2019 के बीच हुई एक बैठक के दौरान 3GPP ने नाविक को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर खरा पाते हुए मान्यता दे दी है. अब भारत की टेलीकम्यूनिकेशन स्टैंडर्ड डेवलपमेंट सोसाइटी इन मानकों को राष्ट्रीय मानकों के साथ जोड़ेगी. इसके बाद आप के मोबाइल पर अमेरिकी जीपीएस के बजाय NaVIC दिखने लगेगा. ISRO चीफ डॉ. के. सिवन ने एक अंग्रेजी अखबार को कहा है कि उन्हें बेहद खुशी है कि 3GPP ने नाविक को मान्यता दे दी है. उन्होंने ने बताया कि NaVIC पूरी तरह से काम कर रहा है. इसके लिए हमारे 7 सैटेलाइट्स भारत के ऊपर तैनात हैं. 6 सैटेलाइट नेविगेशन के लिए हैं. एक सैटेलाइट मैसेजिंग के लिए है. NaVIC पर आधारित कुछ एप पहले से काम कर रहे हैं, जबकि कुछ जल्द ही शुरू हो जाएंगे. जल्द ही हम NaVIC पर आधारित और एप लॉन्च करेंगे. ताकि, आम आदमी को इसका लाभ मिल सके. Snap Dragon 720 G, 662 and 460 मिडल रेंज के smart phones में इन processor का इस्तेमाल होता है, इनमे Navic Navigation System Support करेगा।

तो तैयार हो जाइये navic का इस्तेमाल करने के लिए। दोस्तों, अगर यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा है, तो प्लीज आप कमेंट बॉक्स में बताये, प्लीज मुझे सपोर्ट कीजिये | बहोत मेहनत करता हु, आर्टिकल्स लिखने के लिए | अगर आप मुझे सपोर्ट करेंगे तो आगे और भी अच्छे आर्टिकल्स आपके लिए लेकर आऊंगा, और मेरे ब्लॉग को फॉलो करना मत भूलियेगा | इसके साथ आपसे इजाजत लेता हु।


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2 टिप्पणियाँ

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